ऐसे करो भोजन बुढ़ापे तक नहीं आयेगा कमजोरी, बने रहोगे जवान : wellhealthorganic.com:ayurveda-dinner

ayurveda-dinner आयुर्वेदिक में खाने पीने और सोने से लेकर हर एक चीज निर्धारित हैं। आज की सुलेख में जानेंगे ब्रेकफास्ट लंच और डिनर के बारे में साथ ही इसके हिंदी अनुवाद भी जानेंगे। दोस्तों अगर आप आयुर्वेद के कहे अनुसार चलते हैं तो 100 साल से भी ऊपर हेल्दी जीवन जी सकते हो। आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार सुबह की भोजन को या सुबह की भोजन को सुबह का जलपान कहा जाता है। इसे इंग्लिश में ब्रेकफास्ट कहते हैं। दोस्तों दोपहर की भोजन को अंग्रेजी में लंच कहते हैं। और इसे हिंदी में मध्यान भोजन कहा जाता है या मध्यान जलपान कहा जाता है। रात्रि की भोजन को अंग्रेजी में डिनर कहते हैं और इसे हिंदी में रात्रि जलपान या रात्रि कालीन भोजन कहा जाता है। दोस्तों भोजन के अनुसार ही शरीर में वात पित्त और कफ का विकास होता है आज के इस लेख में जानेंगे कैसे वात पीत और कफ दोष से बच्चे। भोजन करने का समय क्या होता है और कितने समय भोजन करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ayurveda-dinner

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सुबह का जलपान (breakfast)

सुबह की खान को हिंदी में हम सुबह की जलपान कहते हैं। दोस्तों सुबह के खान से ही हमारे शरीर में ऊर्जा और शक्ति का विकास होता है। आयुर्वेद के अनुसार सुबह सोकर उठने के 3 घंटे के अंदर सुबह का जलपान कर लेना चाहिए मतलब सुबह की भोजन कर लेना चाहिए और नवी राम इसके बाद अगर हम कुछ कहते हैं तो उसका साइड इफेक्ट हमारे शरीर पर देखने को मिलता है। दोस्तों सभी लोगों को कोशिश करना चाहिए कि सुबह का जलपान अर्थात ब्रेकफास्ट में दूध रोटी पोहा ग्रीन वेजिटेबल अंडा और सब और प्रोटीन फाइबर जैसे चीजों का प्रयोग करें। या आप जो हैं हेल्दी रहने के लिए सुबह की जलपान में फलों का जूस या मौसमी फल खा सकते हैं जो आपकी सेहत को हेल्दी और सुरक्षित रखेगा। आयुर्वेदिक के विशेष शब्दों के अनुसार सुबह की खाना में जूस और फलों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने से कभी शेयर बीमार नहीं पड़ता। या बीमार पड़े शरीर रिकवर होकर हेल्दी और स्वस्थ हो जाता है। दीर्घायु जीवन जीने के लिए सुबह की जलपान में फलों का जूस फल और दूध रोटी पोहा अंडा या मौसमी फल का प्रयोग करें।

मध्यान भोजन (lanch)

दोपहर की भोजन को हिंदी में मध्यान भोजन कहते हैं। मध्यान मतलब दोपहर का भोजन, दोस्तों दोपहर की भोजन करने का उपयुक्त समय 1 से दो 2 के बीच होता है। दोपहर का खाना सुबह की जलपान के 5 घंटे बाद करना चाहिए वरना शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकती हैं। इस समय हमारे शरीर को पोषक तत्वों और विटामिन की जरूरत होती है इसलिए मध्यान अर्थात दोपहर के भोजन में मिश्रित आहार जरूर ले जिसमें प्रोटीन विटामिन कार्बोहाइड्रेट और अन्य प्रकार की पोषक तत्व जरूर हो। दोस्तों जो लोग अपने भोजन में सलाद और हरे फ्रूट सका ज्यादा प्रयोग करते हैं ऐसे लोग बीमार से बच्चे रहते हैं ऐसे लोग हेल्दी और स्वस्थ रहते हैं। लंबे समय के लिए हेल्दी और स्वस्थ जीवन जीना चाहते हो तो दोपहर की खाना में सलाद और प्रोटीन युक्त आहार जरूर शामिल करें। दोपहर की भोजन में गाजर मूली शलजम प्याज खीरा सलाद के रूप में जरूर शामिल करें।

रात की जलपान (Dinner)

दोस्तों वैसे आयुर्वेद में लिखा है की रात्रि कालीन में भोजन नहीं करना चाहिए जो रात्रि कल में भोजन करता है वह रोग से ग्रसित हो जाता है। आपने देखा होगा चिड़िया कभी रात में भोजन नहीं करती इसलिए वह कभी बीमार नहीं पड़ती और स्वस्थ रहती हैं। लेकिन दोस्तों हम मानव बिना भोजन करें रह नहीं सकते तो आयुर्वेद में एक सिद्धांत भी बताए हैं आयुर्वेद के अनुसार 7 से 9:00 बजे के बीच रात्रि का भोजन हमें कर लेना चाहिए। इसके बाद अगर आप भोजन करते हैं तो पेट की मदअग्नि शांत हो जाती है जिससे पेट में अपच और गैस बनता है। दोस्तों आयुर्वेद का सिद्धांत बहुत ही जटिल और सरल भी हैं आयुर्वेदिक के नियम को अपनाकर अगर हम अपने जीवन में उतरे तो कभी बीमार और रोग से ग्रसित नहीं होंगे। आज अधिकतर लोग जो बीमार पड़ रहे हैं वह गलत खान-पान और सही समय का चुनाव ना कर पाने के कारण हो रहे हैं। रात के भजन में दाल हरी पत्तेदार सब्जियां करी पत्ता और थोड़ी कुछ मात्रा में अदरक को शामिल जरूर करें l ayurveda-dinner

सलाह :

रात की भोजन में जंक फूड तेली भजन मांसाहारी जमे हुए भजन और देर से पचने वाले भोजन से बचना चाहिए। आयुर्वेद कहता है कि रात में दही या फिर आइसक्रीम जैसे चीजों को नहीं खाना चाहिए इसके खाने से शरीर में अनेक प्रकार के कष्ट और रोग होते हैं। रात का भोजन अंतिम भोजन होता है, इसलिए रात का भजन सही समय पर किया जाए तो ज्यादा अच्छा और शरीर के लिए फायदेमंद होता है कभी भी रात का भजन देर से मत करना। रात के भोजन करने के बाद हमारे शरीर को 6 से 8 घंटे का अंतराल मिलता है। इसलिए दे रहा तक भोजन करने से बचना चाहिए इससे आपके शरीर अच्छे और स्वस्थ रहेंगे।

शरीर में वात पित्त और कफ क्या होता है

दोस्तों हमारे पूरे शरीर का नियंत्रण इन तीन देशों के कारण ही हो पता है मतलब दोस्तों वात पित्त और कब यह हमारे शरीर को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अगर शरीर में वात बढ़ जाए तो शरीर में कई प्रकार के परेशानियां आने लगते हैं। और कफ बढ़ जाए तो शरीर जीते जी रोगों से ग्रसित हो जाता है। और पीत बढ़ जाए तो पेट में दर्द और ऐंठन होने लगता है लिए वात पित्त और कफ को विस्तार से जानते हैं।

वात दोष

दोस्तों आयुर्वेदिक के अनुसार वात दोष वायु और आकाश इन दो तत्वों से मिलकर बने हैं। दोस्तों वात दोष को तीन देशों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि दोस्तों हमारे शरीर में गति से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया वात के कारण ही संभव हो पता है। दोस्तों चरक मुनि ने चरक संहिता में वायु को ही पंचक अग्नि बढ़ाने वाला और दोस्तों सभी इंद्रियों को प्रेरक और उत्साह का केंद्र बताया है वाट का मुख्य स्थान हमारे पेट और आंत में हैं। इस दोस्त से सबसे ज्यादा पीड़ित बुजुर्ग लोग रहते हैं। क्योंकि बुजुर्ग होने पर शरीर में वात बढ़ जाता है, अर्थात वायु दोष बढ़ जाता है। वात दोष से होने वाले रोग की संख्या 80 बताई गई है। जैसे गठिया वात, वह तो दोस्त बुजुर्गों में ही ज्यादा देखने को मिलते हैं जैसे बुजुर्गों के हाथ दर्द पैर दर्द बदन दर्द सभी प्रकार के दर्द अपने बुजुर्गों को होते हुए देखे होंगे यह सब वात दोष के कारण ही होते हैं। इस दोस से बचने के लिए हरी सब्जी और हरी भाजी का ज्यादा प्रयोग करें।

पीत दोष

दोस्तों हमारे शरीर में पित्त अग्नि पाए जाते हैं जो हमारे भोजन को बचाने का काम करते हैं। दोस्तों अक्सर पित्त दोष से पीड़ित नौजवान युवा होता है पित्त दोष होने से पेट में दर्द अल्सर और लूज मोशन होता है। इस दोस्त से अधिकतर नौजवान लोग ही ग्रसित होते हैं इसलिए हमें पित्त दोष को शांत करने के लिए आयुर्वेद में फलों के जूस और सलाद खाने की सलाह देते हैं यह दोष होने पर पेट में गैस का बना और गैस के कारण सिर में दर्द होना और भी अनेक प्रकार के शारीरिक समस्या होता है।

कफ दोष

दोस्तों कफ दोस्त वायु विकार के कारण होता है, अर्थात वायु के संपर्क में आने के कारण। यह दोष अक्सर छोटे बच्चों को होता है। जो बच्चे 7 साल के आसपास हो या गोद में खेलते बच्चे हो। आपने अक्सर छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम से और गले में बलगम और खांसी से ग्रसित होते हुए जरूर देखे होंगे। यह सारे दोस्त कफ दोष के कारण ही होते हैं दोस्तों कभी-कभी इस दोस्त से बुजुर्ग भी चपेट में आ जाते हैं। अक्सर उम्र ढलने के बाद छाती में बलगम और गले में कफ बनने लगता है यह भी कफ दोष के ही लक्षण हैं। इस दोस्त से बचने के लिए गर्माहट युक्त चीजों का सेवन करना चाहिए।

खाना खाने के कितने घंटे बाद पानी पीना चाहिए

आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार और आयुर्वेद के विशेषज्ञों के अनुसार खाना खाने के 45 से 60 मिनट बाद पानी पीना चाहिए। भोजन के बीच में आप पानी पी सकते हैं भोजन के प्रारंभ में पानी अमृत के समान माना जाता है भोजन के बीच में पानी भोजन को पचाने वाला माना जाता है। लेकिन भोजन के अंत में पानी पीना जहर के समान माना जाता है। भोजन के अंत में पानी पीने से मत अग्नि शांत हो जाती हैं जिससे 64 प्रकार के या उससे भी अधिक रोग होने का खतरा रहता है। दोस्तों अक्सर जो लोग भोजन करके तुरंत पानी पीते हैं उनके पेट में अपच लूज मोशन गैस की समस्या और पेट संबंधी उन्हें रोग होते हैं इसलिए आयुर्वेद के सिद्धांत को अपना कर भोजन करने के बाद पानी न पिए इससे भोजन पचता नहीं बल्कि सड़ता है। भोजन करने के 45 से 60 मिनट के बीच में ही पानी पिए तो अब को कभी रोग चपेट में नहीं ले पाएगा आप हेल्दी और स्वस्थ जीवन जिएंगे।

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i am rakesh jaiswal. and i health adviser